काल_एवं_काल_के_भेद_हिंदी_व्याकरण_Hindi_Sulekhak

काल (Tense)

परिभाषाक्रिया के उस रूपांतर को 'काल' कहते हैं, जिससे क्रिया के व्यापार का समय तथा उसकी पूर्ण या अपूर्ण अवस्था का बोध होता है जैसेवह खाता है वह खा रहा है वह खाता था वह खा चुका था वह खा रहा था।


काल के भेद काल के तीन मुख्य भेद हैं

(1) वर्तमानकाल,

(2) भूतकाल और

(3) भविष्यत्काल

 

इन तीन कालों का बोध क्रिया के रूप में होता है, इसलिए क्रिया के रूप भी 'काल' कहलाते हैं जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि क्रिया के 'काल' से केवल व्यापार के समय का ही बोध नहीं होता, बल्कि उसकी पूर्णता या अपूर्णता का भी ज्ञान होता है अतः क्रिया के रूपांतरों के अनुसार प्रत्येक 'काल' के भी भेद होते हैं।

वर्तमानकालक्रियाओं के व्यापार की निरंतरता को वर्तमानकाल कहते हैं इस काल में क्रिया प्रारंभ हो चुकी होती है जैसेवह खाता है, वह खा रहा है।

 

वर्तमानकाल के भेद-वर्तमानकाल के पाँच भेद हैं

(1) सामान्य वर्तमान.

(2) तात्कालिक वर्तमान,

(3) पूर्ण वर्तमान

(4) संदिग्ध वर्तमान तथा

(5) संभाव्य वर्तमान

 

1. सामान्य वर्तमान-क्रिया के जिस रूप से क्रिया के वर्तमानकाल में सामान्य रूप से संपन्न होने का बोध होता है, उसे सामान्य वर्तमान कहते हैं अर्थात् सामान्य वर्तमान से यह ज्ञात होता है कि क्रिया का प्रारंभ बोलने के समय हुआ है जैसेहवा चलती है। लड़का पुस्तक पढ़ता है।

2.तात्कालिक वर्तमान- तात्कालिक वर्तमान से यह ज्ञात होता है कि वर्तमानकाल में क्रिया हो रही है अर्थात् बोलते समय क्रिया का व्यापार जारी है या चल रहा है। अतः इस क्रिया से इसकी पूर्णता का ज्ञान नहीं होता इसीलिए तात्कालिक वर्तमान को अपूर्ण वर्तमान के नाम से भी जाना जाता है पं० कामता प्रसाद गुरु ने इसे 'अपूर्ण वर्तमानकाल' की संज्ञा दी है जैसेगाडी रही है हम कपड़े पहन रहे हैं।

3. पूर्ण वर्तमानपूर्ण वर्तमानकाल की क्रिया से ज्ञात होता है कि क्रिया का व्यापार वर्तमानकाल में पूर्ण हुआ है जैसेनौकर आया है राम ने खाया है पत्र भेजा गया है।

4. संदिग्ध वर्तमान- जिससे किया के संपन्न होने में तो संदेह प्रकट हो. परंत उसकी वर्तमानता में कोई संदेह नहीं हो जैसेगाड़ी आती होगी वह खाता होगा वह सोता होगा।

5. संभाव्य वर्तमान- संभाव्य वर्तमान में क्रिया के वर्तमानकाल में पूरा होने की संभावना रहती है। संभाव्य का अर्थ है संभावित अर्थात्, जिसके होने की संभावना या अनुमान हो जैसेवह चलता हो राम गया हो उसने खाया हो।

भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से कार्य की समाप्ति का ज्ञान हो, उसे भतकाल की क्रिया कहते हैं जैसेवह आया था उसने पढ़ा वह जा चुका था।

 

भूतकाल के भेद-इसके छह भेद हैं-

(1) सामान्य भूत,

(2) आसन्न भूत,

(3) पूर्ण भूत,

(4) अपूर्ण भूत,

(5) संदिग्ध भूत और

(6) हेतुहेतुमद् भूत

 

1. सामान्य भूत-भूतकाल की जिस क्रिया से विशेष समय का बोध नहीं हो, उसे सामान्य भूतकाल की क्रिया कहते हैं सामान्य भूतकाल की क्रिया से यह पता चलता है कि क्रिया का व्यापार बोलने या लिखने के पहले हआ जैसे-पानी गिरा गाड़ी आयी। पत्र भेजा गया

 

2. आसन्न भूत-क्रिया के जिस रूप से कार्य-व्यापार की समाप्ति निकट भूतकाल में या तत्काल ही उसके होने का भाव सूचित होता है, उसे आसन्न भूतकाल की क्रिया कहते हैं जैसेमैंने पढ़ा है उसने दवा खायी है वह चला है।

3. पूर्ण भूत-पूर्ण भूतकाल से ज्ञात होता है कि क्रिया के व्यापार को पूर्ण हुए काफी समय बीत चुका है इसमें क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट ज्ञान होता है जैसे-नौकर पत्र लाया था राम ने लड्डू खाया था

4. अपूर्ण भूत-अपूर्ण भूतकाल से यह ज्ञात होता है कि क्रिया भूतकाल में हो रही थी, उसका व्यापार पूरा नहीं हुआ था, लेकिन जारी था जैसेनौकर जा रहा था गाड़ी रही थी चिट्ठी लिखी जाती थी।

5. संदिग्ध भूत-संदिग्ध भूतकाल में यह संदेह बना रहता है कि भूतकाल में क्रिया समाप्त हुई या नहीं। जैसेउसने खाया होगा वह चला होगा राम ने पढ़ा होगा।

6. हेतुहेतुमद् भूत-हेतुहेतुमद् भूत से यह ज्ञात होता है कि क्रिया भूतकाल में होनेवाली थी, परन्तु किसी कारण से नहीं हो सकी जैसेमैं गाता तू आता। वह जाता। राम खाता वह आता तो मैं जाता ।।

भविष्यतकाल-भविष्य में होनेवाली क्रिया को भविष्यत्काल की क्रिया कहते हैं जैसेवह आज आयेगा राम कल पढ़ेगा।

 

भविष्यत्काल के भेद-भविष्यत्काल के तीन भेद हैं-

(1) सामान्य भविष्य.

(2) संभाव्य भविष्य और

(3) हेतुहेतुमद् भविष्य

1. सामान्य भविष्य-सामान्य भविष्य से यह ज्ञात होता है कि क्रिया सामान्यतः भविष्य में संपन्न होगी जैसेमैं घर जाऊँगा वह पढेगा

2. संभाव्य भविष्य- इससे भविष्य में होनेवाली  किसी क्रिया की संभावना का बोध होता है। जैसे-मैं सफल होऊँगा शायद माँ कल लौट आये।

3.हेतहेतुमद् भविष्य-इसमें भविष्य में होनेवाली एक क्रिया दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर रहती है। जैसेवह गाये तो मैं भी गाऊँ। जो कमाये सो खाये।

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