लिंग_एवं_लिंग_के_भ_द_हिंदी_व्याकरण _Hindi_Sulekhak

लिंग (Gender)

परिभाषा-संज्ञा के जिस रूप से यह पता चले कि वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं।

'लिंग' संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ है चिह्न, निशान या जाति चिह्न या जाति किसी संज्ञा की ही हो सकती है। संज्ञा किसी व्यक्ति या वस्तु के नाम को कहते हैं। व्यक्ति या वस्तु या तो पुरुष जाति की होगी या स्त्री जाति की

 

संज्ञा के भी दो रूप है

(1) प्राणिवाचक संज्ञा (जैसे-गाय, बैल, घोडा, घोड़ी, स्त्री, पुरुष, बकरा, बकरी, इत्यादि)

(2) अप्राणिवाचक संज्ञा (जैसे-मकान, घर, विद्यालय, लोटा, थाली, कटोरा, चम्मच, इत्यादि)

 

लिंग हिन्दी भाषा के लिए एक समस्या की तरह है हिन्दी भाषा पर अनेक कठिनाइयों के आरोप लगाये जाते हैं, जिनमें लिंग का स्थान सबसे ऊपर है लिंग-निर्णय कठिन अभ्यास और स्मरण-शक्ति की अपेक्षा रखता है जिन-जिन प्राणियों या वस्तुओं में स्त्री और पुरुष जातियाँ होती हैं, उनका लिंग-निर्णय करना तो आसान हो जाता है परंतु, जिन वस्तुओं में लक्षण स्पष्ट रूप से नहीं होते, उनका लिंग-निर्णय करना बहुत कठिन हो जाता है कुछ ऐसे प्राणी भी हैं, जिनमें नर-मादा तो होते अवश्य हैं, परन्तु हमें आसानी से यह नहीं पता चलता कि ये नर हैं या मादा मक्खियों तथा मच्छड़ों को देखकर भला हम कैसे जान सकते हैं कि वे नर हैं या मादा ? ऐसे मामलों में हमें हिन्दी में प्रचलित तथा सर्वमान्य प्रयोगों को ही स्वीकार करना होता है।

 

लिंग के भेद

पूरी सृष्टि में मुख्य तीन जातियाँ पायी जाती हैं

(1) पुरुष,

(2) स्त्री और

(3) जड़।

 

दुनिया की अनेक भाषाओं में इसी आधार पर लिंग के तीन भेद मिलते हैं-

(1) पुंलिंग,

(2) स्त्रीलिंग और

(3) नपुंसक लिंग

 

ये तीनों रूप संस्कृत भाषा में भी हैं परंतु, हिन्दी में दो ही लिंग को मान्यता दी गयी है हिन्दी में नपुंसक लिंग का कोई स्थान नहीं है। अतः हिन्दी में सारी वस्तुएँ, चाहे वे जड़ हों या चेतन, इन दो लिंगों में ही विभक्त हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिन्दी में लिंग के दो भेद हैं-

(1) पुंलिंग और

(2) स्त्रीलिंग।

 

लिंग-निर्णय

जिन प्राणिवाचक संज्ञाओं से जोड़े का ज्ञान होता है, उनमें पुरुषवाचक संज्ञाएँ पुंलिंग तथा स्त्रीवाचक संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं जैसेपुरुष, घोड़ा, बैल, मोर, बंदर, इत्यादि पुंलिंग हैं और स्त्री, घोड़ी, गाय, मोरनी, बंदरिया इत्यादि स्त्रीलिंग हैं।

 

कुछ मानवेतर प्राणिवाचक संज्ञाओं से नर-मादा दोनों जातियों का ज्ञान होता है, परंतु व्यवहार या प्रचलन के अनुसार हमेशा पलिंग या स्त्रीलिंग के रूप में प्रयुक्त होती है। जैसे

पुलिंग-पक्षी, उल्लू, कौआ, भेडिया, चीता, खटमल, केचुआ, इत्यादि

स्त्रीलिंगचील, कोयल, बटेर, मैना, गिलहरी, जोंक, तितली, मक्खी, मछली, इत्यादि

 

लिंग-निर्णय-संबंधी कुछ नियम पुलिंग:

1. जिन शब्दों के अंत में आव, त्व, पन, पा इत्यादि हों; जैसे-चढ़ाव, नारीत्व लड़कपन, बुढ़ापा

2. संस्कृत के अकारांत शब्द; जैसे-वरदान, तिलक, स्वराज्य, पत्र, मान, भवन, जल चरित्र

अपवाद-शरण, कुशल, सामर्थ्य इत्यादि स्त्रीलिंग हैं

3. '' प्रत्ययांत संज्ञाएँ; जैसेचरित, गणित, गीत, स्वागत, इत्यादि

4. जिनके अंत में '' हो; जैसेनख, मुख, सुख, दुःख, इत्यादि

5. हिंदी के अकारांत तथा आकारांत शब्द; जैसेबाल, सिर, हाथ, कपड़ा, गढ़ा, पत्ता, इत्यादि।

6. अरबी-फारसी के ऐसे शब्द, जिनके अंत में , आब, आश, इत्यादि हों; जैसे मतलब, गुलाब, जवाब, हिसाब, ताश, जोश, इत्यादि

अपवाद-तलब, तरकीब, शराब, किताब, इत्यादि

7. थोड़े प्राणिवाचक शब्द; जैसेझींगुर, कौआ, बेंग, इत्यादि सर्प, बिच्छु आदि के स्त्रीलिंग रूप भी होते हैं।

अपवाद-चील, कोयल, आदि

8. अन्न के शब्दचना, गेहूँ, चावल, धान, बाजरा, इत्यादि

अपवाद-खेसारी, सरसों, अरहर, मूंग, इत्यादि

9. द्रव पदार्थों के नाम; जैसेपानी, घी, तेल, अर्क, शर्बत, काढ़ा, इत्यादि

अपवाद-चाय, स्याही, शराब

10. शरीर के अवयवों के नाम; जैसेकान, मुँह, दाँत, ओठ, गाल, मस्तक, अँगूठा, नाखून, पाँव, हाथ, सिर

अपवाद-कलाई, नाक, आँख, जीभ, खाल, बाँह

11. उर्दू के वे शब्द, जिनके अंत में 'आर' या 'आन' लगा हो; जैसेबाजार, इतिहास, इनकार, अहसान, मकान, सामान, इम्तिहान, इत्यादि

अपवाद-दूकान, तकरार

12. उर्दू के आकारांत शब्द; जैसे-परदा, गुस्सा, किस्सा, रास्ता, चश्मा, इत्यादि 13. रत्नों के नाम; जैसेमोती, माणिक, पन्ना, हीरा, जवाहर, मूंगा, लाल, इत्यादि

अपवाद-मणि, चुनी, लालड़ी, इत्यादि

14. धातुओं के नाम; जैसेताँबा, लोहा, सोना, सीसा, काँसा, राँगा, पीतल, इत्यादि।

अपवादचाँदी।

15. भौगोलिक जल और स्थल के नाम; जैसेदेश, नगर, द्वीप, पर्वत, इत्यादि

अपवाद-पृथ्वी, झील, घाटी, सरिता, मरुस्थली, इत्यादि

16. पेडों के नाम; जैसेपीपल, बड़, चीड़, आम, शीशम, अमरूद, इत्यादि

अपवादलीची, नाशपाती, नारंगी, इत्यादि

 

स्त्रीलिंग:

1 हिन्दी के ईकारांत शब्द; जैसे थैली, चीनी, धोती, टोपी, इत्यादि

अपवाद-दही, घी, जी, मोती, पंछी, पानी इत्यादि पुंलिंग हैं

2. संस्कृत के आकारांत शब्द; जैसेकथा, माला, दया, कृपा, इत्यादि

3. संस्कृत के नाकारांत शब्द; जैसेप्रार्थना, वेदना, रचना, इत्यादि

4. संस्कृत के कुछ इकारांत एवं उकारांत शब्द; जैसेरात्रि, निधि, वस्तु, ऋतु, इत्यादि।

5. हिंदी के वट, हट, इया प्रत्ययांत शब्द; जैसेरुकावट, खटिया, आदि

6. अरबी या फारसी के ऐसे शब्द, जिनके अंत में , , , आदि हों जैसेहवा, दवा, चीज, कमीज, ताकीद, नकल, हलचल, इत्यादि

7. तकारांत शब्द; जैसेदौलत, रात, दस्तखत, खत

अपवाददाँत, भात, खेत, दरख्त, खत

8. इश, ईर, ईफ, आस प्रत्ययांत शब्द; जैसेकोशिश, तकरीर, तारीफ, प्यास, इत्यादि

9. तिथियों तथा भाषाओं के नाम; जैसेदूज, तीज, अँगरेजी, उर्दू, इत्यादि

10. अँगरेजी से आये हुए शब्द; जैसेलालटेन, काँगरेस, टेबुल, इत्यादि

अपवाद-स्टेशन, स्कूल, कॉलेज, इत्यादि पुंलिंग हैं।

11. जिन संज्ञाओं के अंत में '' हो; जैसेईख, भूख, राख, कोख, इत्यादि

अपवाद-पाख, रूख

12. जिन भाववाचक संज्ञाओं के अंत में '','वट', 'हट' हों जैसे-सजावट, घबराहट, आहट, इत्यादि

13. सरिताओं के नाम; जैसेगंगा, यमुना, रावी, व्यास, झेलम, इत्यादि

अपवाद-सोन' पुलिंग है।

14. बनिये की दुकान की चीजें; जैसे-लौंग, इलायची, मिर्च, दालचीनी, हल्दी, केसर, सुपारी, हींग, इत्यादि

अपवाद-धनिया, जीरा, गरममशाला, नमक, तेजपत्ता, इत्यादि

15. खाने-पीने की चीजें; जैसे-कचौड़ी, पूरी, खीर, दाल, पकौड़ी, रोटी, चपाती, तरकारी, खिचड़ी, इत्यादि।

अपवाद-पराठा, हलवा, भात, दही, रायता, इत्यादि

16. शकारांत संज्ञाएँ; जैसेनालिश, कोशिश, लाश, तलाश, बारिश, मालिश, इत्यादि।

अपवाद-होश, ताश, आदि

 

अर्थ-भेद के कारण लिंगभेद- बहुत-से ऐसे शब्द हैं जिनका लिंग अर्थ -भेद के कारण बदल जाता है । ऐसे कुछ शब्द नीचे दिये जा रहे हैं |

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पुंलिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम

1. अकारांत तथा आकारांत पुंलिंग शब्दों में '' या '' की जगह '' प्रत्यय लगाने से स्त्रीलिंग बनता है जैसेदेव-देवी, पुत्र-पुत्री, काला-काली

2. पशु-पक्षी बोधक अकारांत पलिंग शब्दों में 'नी' प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है जैसेमोर-मोरनी, सिंह-सिंहनी

3. बहुत-से अकारांत संस्कृत शब्दों के अंत में आकार लगाकर स्त्रीलिग बनाया जाता है जैसे -पंडित-पंडिता, बाल-बाला, महाशय-महाशया ।।

4. जिन संस्कृत शब्दों के अंत में अक' प्रत्यय हो, उन्हें स्त्रीलिंग बनाने के लिए 'अक' स्थान पर 'इका' का प्रयोग करते हैं जैसेपाठक-पाठिका, बालक-बालिका, शिक्षक-शिक्षिका, गायक-गायिका

5. उपनाम बोधक पुंलिंग शब्दों के अंत में 'आइन' प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग रूप बनाया जाता है जैसेपंडित-पंडिताइन, ओझा-ओझाइन

6. व्यवसायवाचक पुलिंग शब्दों के अंतिम स्वर के स्थान पर 'इन' प्रत्यय लगाकर सीलिंग बनाया जाता है जैसे-ठठेरा-ठठेरिन, जुलाहा-जुलाहिन

7. कुछ शब्दों में 'आनी' प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है जैसेमेहतर-मेहतरानी, सेठ-सेठानी, देवर-देवरानी, नौकर-नौकरानी।

8. कुछ शब्दों का स्त्रीलिंग रूप बिल्कुल भिन्न होता है जैसेपिता-माता, भाई-बहन, वर-वधू, साहब-मेम, पुरुष-स्त्री, बैल-गाय

9. जातिसूचक अकारान्त उपनामों को आकारान्त बनाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। जैसेगुप्त-गुप्ता, मिश्र-मिश्रा, शुक्ल-शुक्ला, इत्यादि

 

कुछ विशेष शब्दों के स्त्रीलिंग रूप पुंलिंग स्त्रीलिंग

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