गोवा में 2 जिले है और गोवा या गोआ क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। महाभारत में गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र यानि गाय चरानेवालों के देश के रूप में मिलता है। जो मुख्य रूप से एक तटीय शहर था। जिस स्थान का नाम पुर्तगाल के यात्रियों ने गोवा रखा।
गोवा के पडोसी राज्य और जिले
गोवा भारत के राज्यों में समुद्र तटीय पर्यटन प्रधान विधानसभा युक्त राज्य है जिसके पश्चिमी सीमाएं अरब सागर को स्पर्श करती है जबकि बाकि दो तरफ महाराष्ट्र और कर्णाटक है।
वैसे तो गोवा छोटा राज्य है किन्तु फिर भी इसे उत्तर में महाराष्ट्र के जिले स्पर्श करते है और दक्षिण पूर्व में कर्णाटक के जिले स्पर्श करते है।
गोवा के जिलों के नाम की सूची
गोवा के जिलों के नाम की सूची | |||||
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Code | District | Headquarters | Population (2011) | Area (km²) | Density (/km²) |
NG | North Goa | Panaji | 817761 | 1736 | 471 |
SG | South Goa | Margao | 639962 | 1966 | 326 |
गोवा में कितने जिले है
गोवा में सिर्फ २ जिले है, पणजी और मार्गो, पणजी ज़िला गोवा प्रदेश की राजधानी भी है और ये जिला जनसँख्या और क्षेत्रफल में बड़ा भी है।
Goa Me Kitne Jile Hai
गोवा में 2 जिले है, जिनका प्रशभन एक आईएएस अधिकारी देखता है, गोवा हल ही में राज्य बना है इसलिए इन जिले के अंदर कई राज्य स्तरीय कार्यालय है जिनको प्रांतीय सेवा के अधिकारियो की सहायता से संचालित किया जाता है
गोवा का इतिहास
गोवा की रचना भगवान परशुराम ने की थी। कहा जाता है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणो की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था और लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि हैं।
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उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।जब यहाँ मौर्य वंश के शासन की स्थापना हुई थी। बाद में पहली सदी के शुरुआत में इस पर कोल्हापुर के सातवाहन वंश के शासकों का अधिकार स्थापित हुआ और फिर बादामी के चालुक्य शासकों ने इस पर वर्ष 580 से 750 तक राज किया। इसके बाद के सालों में इस पर कई अलग अलग शासकों ने अधिकार किया।
वर्ष 1312 में गोवा पहली बार दिल्ली सल्तनत के अधीन हुआ लेकिन उन्हें विजयनगर के शासक हरिहर प्रथम द्वार वहाँ से खदेड़ दिया गया। अगले सौ सालों तक विजयनगर के शासकों ने यहाँ शासन किया और 1469 में गुलबर्ग के बहामी सुल्तान द्वारा फिर से दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बनाया गया। बहामी शासकों के पतन के बाद बीजापुर के आदिल शाह का यहाँ कब्जा हुआ जिसने गोअ-वेल्हा हो अपनी दूसरी राजधानी बनाई।
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