महत्वपूर्ण नारे, कौन सा नारा किसने और कब दिया? देखे मत्वपूर्ण नारो का पूरा इतिहास…
8 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन के 80 साल पूरे हो गए। देश के राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने अंग्रेजो की गुलामी से भारत को आजाद कराने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। ये आंदोलन पूरे देश में आग की तरह फैला। आंदोलन की शुरुआत में महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था। हर घर से देशभक्ति की आवाज बुलंद होने लगी। कई देशभक्तों ने ऐसे नारे दिए जो आजादी की मांग कर रहे लोगों में जोश, खून में उबाल ला देने वाले थे। आंदोलन में उठी बुलंद आवाजों से ब्रिटिश हुकूमत भी हिल गयी। कई बड़े नेताओं और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल क्रांतिकारियों को अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के कारण जेल में डाल दिया गया। देश के इतिहास में भारत की आजादी के लिए उठी आवाजे, नारे बहुत महत्वपूर्ण रहे। इस स्वतंत्रता दिवस पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस मौके पर आप देशभक्ति के जज्बे को बढ़ा देने वाले आजादी के नारे लगा सकते हैं।
क्र सं० | नारा | द्वारा |
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1 | जय जवान जय किसान | लाल बहादुर शास्त्री |
2 | मारो फिरंगी को | मंगल पांडे |
3 | जय जगत | विनोबा भावे |
4 | कर मत दो | सरदार बल्लभभाई पटले |
5 | संपूर्ण क्रांति | जयप्रकाश नारायण |
6 | विजय विश्व तिरंगा प्यारा | श्यामलाल गुप्ता पार्षद |
7 | वंदे मातरम् | बंकिमचंद्र चटर्जी |
8 | जय गण मन | रवींद्रनाथ टैगोर |
9 | सम्राज्यवाद का नाश हो | भगत सिंह |
10 | स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है | बाल गंगाधर तिलक |
11 | इंकलाब जिंदाबाद | भगत सिंह |
12 | दिल्ली चलो | सुभाषचंद्र बोस |
13 | करो या मरो | महात्मा गांधी |
14 | जय हिंद | सुभाषचंद्र बोस |
15 | पूर्ण स्वराज | जवाहरलाल नेहरू |
16 | हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान | भारतेंदू हरिशचंद्र |
17 | वेदों की ओर लौटो | दयानंद सरस्वती |
18 | आराम हराम है | जवाहरलाल नेहरू |
19 | हे राम | महात्मा गांधी |
20 | भारत छोड़ो | महात्मा गांधी |
21 | सरफरोशी की तम्मना अब हमारे दिल में है | बिस्मिल अज़ीमाबादी |
22 | सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा | इकबाल |
23 | तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा | सुभाषचंद्र बोस |
24 | साइमन कमीशन वापस जाओ | लाला लाजपत राय |
25 | हू लिव्स इफ इंडिया डाइज | जवाहरलाल नेहरू |
26 | चलो दिल्ली मारो फिरंगी | जोधपुर लिजियम के क्रांतिकारी सैनिकों द्वारा |
27 | दुश्मन की गोलियों का, सामना हम करेंगे | चंद्रशेखर आजाद |
28 | अंग्रेजो भारत छोड़ो | यूसुफ मेहर अली |
29 | सत्यमेव जयते | पंडित मदन मोहन मालवीय |
All Slogans in Hindi List with names
1. जय जवान जय किसान (Jay Jawan Jay Kisan) – लाल बहादुर शास्त्री
देश का राष्ट्रीय नारा कहे जाने वाला जय जवान जय किसान भारत का एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारा है। यह नारा सबसे पहले 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था। जो जवान एवं किसान के श्रम को दर्शाता है।
शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा और पाकिस्तान से युद्ध के दौरान उन्होंने सफलतापूर्वक देश का नेतृत्व किया। युद्ध के दौरान देश को एकजुट करने के लिए और सेना के जवानों और किसानों का महत्व बताने के लिए उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया
2. मारो फिरंगी को (Maro Firangi Ko) – मंगल पांडे
आजादी का सर्वप्रथम क्रांतिकारी माने जाने वाला क्रांतिकारी मंगल पांडे की जुबां से मारो फिरंगी को, का नारा निकला था। गुलाम जनता और सैनिकों के दिल में क्रांति की जल रही आग को धधकाने के लिए और लड़कर आजादी लेने की इच्छा को दर्शाने के लिए यह नारा मंगल पांडे द्वारा दिया गया था।
3. जय जगत (Jay Jagat) – विनोबा भावे
आचार्य विनोबा भावे भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रसिद्ध गांधीवादी नेता थे। उन्हे भारत का राष्ट्रीय अध्यापक और महात्मा गांधी का आध्यातमिक उत्तराधीकारी समझा जाता है। उन्होने अपने जीवन के आखरी वर्ष पोनार , महाराष्ट्र के आश्रम में गुजारे। उन्होंने भूदान आन्दोलन चलाया। महात्मा गांधी के प्रिय विनोबा भावे जिन्होंने शोषण मुक्त समाज व्यवस्था सपना देखा और जय जगत का नारा दिया।
Slogans of freedom fighters with their names
4. कर मत दो (Kar mat do) – सरदार बल्लभभाई पटले
बारडोली सत्याग्रह, बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान जून 1928 में गुजरात में हुआ यह एक प्रमुख किसान आंदोलन था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ( लौहपुरुष ) ने किया था। उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया और कर मत दो का नारा दिया। सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर अंततः विवश होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा। एक न्यायिक अधिकारी बूमफील्ड और एक राजस्व अधिकारी मैक्सवेल ने संपूर्ण मामलों की जांच कर 22 प्रतिशत लगान वृद्धि को गलत ठहराते हुए इसे घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दिया।
5. संपूर्ण क्रांति (Sampurn Ktanti) – जयप्रकाश नारायण
सम्पूर्ण क्रान्ति जयप्रकाश नारायण का विचार व नारा था जिसका आह्वान उन्होने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का आहवान किया था। मैदान में उपस्थित लाखों लोगों ने जात-पात, तिलक, दहेज और भेद-भाव छोड़ने का संकल्प लिया था। उसी मैदान में हजारों-हजार ने अपने जनेऊ तोड़ दिये थे। नारा गूंजा थाः जात-पात तोड़ दो ल, तिलक- दहेज छोड़ दो। समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो। सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था।
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6. विजय विश्व तिरंगा प्यारा (Vijay Wishaw Tiranga) – श्यामलाल गुप्ता पार्षद
भारत के झण्डा गीत या ध्वज गीत की रचना श्यामलाल गुप्त पार्षद ने की थी। यह गीत न केवल राष्ट्रीय गीत घोषित हुआ बल्कि अनेक नौजवानों और नवयुवतियों के लिये देश पर मर मिटने हेतु प्रेरणा का स्रोत भी बना और एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारा बना।
7. वंदे मातरम् (Wande mataram) – बंकिमचंद्र चटर्जी
बंकिम चन्द्र चटर्जी ने ‘वंदे मातरम’ की रचना किया था। 1882 में वंदे मातरम बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ में सम्मिलित किया। दिसम्बर 1905 में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में गीत को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया गया और इस प्रकार बंग-भंग आंदोलन मे वंदे मातरम् राष्ट्रीय नारा बना। वंदे मातरम भारत की एक लोकप्रिय, महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारा हैं।
8. जय गण मन (Jan gan man) – रवींद्रनाथ टैगोर
जन गण मन नोबेल विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर के इस नारे को 27 दिसंबर 1911 को कांग्रेस के कोलकाता सत्र में पहली बार गाया गया था। संविधान सभा ने जन-गण-मन हिन्दुस्तान के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1940 को अपनाया था। राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है, इसमें प्रथम तथा अन्तिम पंक्तियाँ ही बोलते हैं जिसमें लगभग 20 सेकेण्ड का समय लगता है।
9. सम्राज्यवाद का नाश हो (Samrajywad ka nash ho) – भगत सिंह
भारत मे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भगत सिंह ने अंग्रेजों के अत्याचार शासन के खिलाफ उनके साम्राज्य को खत्म करने के लिए साम्राज्यवाद के नाश का नारा दिया था।
10 स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है (Swaraj mera janmasiddh adhikar hai) – बाल गंगाधर तिलक
स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और हम इसे लेकर रहेंगे एक ऐसी नारा जिसने अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम कर दिया था, ये इतना महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नारा था जिसने पूरे देश में क्रांति ला दी थी। यह नारा दिया था स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने । लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा “स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच” ( स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा ) बहुत प्रसिद्ध हुआ ।
11.इंकलाब जिंदाबाद (Inquilab zindabad ) – भगत सिंह
इंक़लाब ज़िन्दाबाद के नारे को भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों ने दिल्ली की असेंबली में 8 अप्रेल 1929 को एक आवाज़ी बम फोड़ते वक़्त बुलंद किया था। यह नारा मशहूर शायर हसरत मोहानी ने एक जलसे में, आज़ादी-ए-कामिल ( पूर्ण आज़ादी ) की बात करते हुए दिया था। भगत सिंह और उनके साथी अन्य क्रांतिकारी अपनी आखरी सांस तक इंक़लाब जिंदाबाद का नारा लगाते रहे।
All Slogans of indian freedom fighters in hindi pdf
12. दिल्ली चलो (Delhi Chalo) – सुभाषचंद्र बोस
नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने ‘सुप्रीम कमाण्डर’ के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए “दिल्ली चलो” का नारा दिया।और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इंफाल और कोहिमा में एक साथ अंग्रेजों से युद्ध लड़ा था।
13. करो या मरो (Karo ya maro) – महात्मा गांधी
8 अगस्त 1942 को बंबई के एक मैदान में अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने प्रस्ताव पारित किया था। यह प्रस्ताव ही ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ बना। इसी आंदोलन की शुरुआत में अपने भाषण में लोगो को महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा दिया था। आंदोलन की शुरुआत के फौरन बाद महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया था।
14. जय हिंद (Jay Hind) – सुभाषचंद्र बोस
जय हिन्द विशेषरुप से भारत में प्रचलित एक देशभक्तिपूर्ण नारा है जो कि भाषणों में तथा संवाद में भारत के प्रति देशभक्ति प्रकट करने के लिये प्रयोग किया जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ “भारत की विजय” है। जय हिन्द ‘ नारे का सीधा सम्बन्ध नेताजी से है , मगर सबसे पहले प्रयोगकर्ता नेताजी सुभाष चन्द्र बोस नहीं थे।यह नारा भारतीय क्रान्तिकारी आबिद हसन सफ़रानी द्वारा दिया गया था। फिर यह भारतीयों में प्रचलि हो गया एवं नेता जी सुभाषचन्द्र बोस द्वारा आज़ाद हिन्द फ़ौज के युद्ध घोष के रूप में प्रचलित किया गया।
आजाद हिन्द फौज के सैनिक आपस में अभिवादन किस भारतीय शब्द से करे यह प्रश्न सामने आया तब हुसैन ने “जय हिन्द” का सुझाव दिया। उसके बाद 2 नवम्बर 1941 को जय हिन्द, आजाद हिंद फ़ौज का युद्धघोष बन गया। जल्दी ही भारत भर में यह गूँजने लगा। 1946 में एक चुनाव सभा में जब लोग काँग्रेस जिन्दाबाद के नारे लगा रहे थे तो नेहरूजी ने लोगो से जय हिन्द का नारा लगाने के लिए कहा।
15. पूर्ण स्वराज (Purn swaraj) – जवाहरलाल नेहरू
31 दिसम्बर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ। इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस के पूर्ण स्वराज का घोषणा पत्र तैयार किया तथा पूर्ण स्वराज को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया। जवाहरलाल नेहरू इस अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गये। अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू ने अपने प्रेरक अध्यक्षीय भाषण में कहा की विदेशी शासन से अपने देश को मुक्त कराने के लिये अब हमें खुला विद्रोह करना है, और कामरेड आप लोग और राष्ट्र के सभी नागरिक इसमें हाथ बताने के लिए सादर आमंत्रित है। नेहरू ने यह बात भी स्पष्ट कर दी कि मुक्ति का तात्पर्य सिर्फ विदेशी शासन को उखाड़ फेंकना भर नहीं है। बल्कि राजा महाराजाओं से भी मुक्त होकर एक पूर्ण स्वराज्य चाहिए।
16. हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान (Hindi Hindu Hindustan) – भारतेंदू हरिशचंद्र
हिंदी हिंदू हिंदुस्तान का नारा आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह कहे जाने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र ने दिया था। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम हरिश्चन्द्र था, भारतेन्दु उनकी उपाधि थी।
17. वेदों की ओर लौटो (wedon ki aur lauto) – दयानंद सरस्वती
वेदों की ओर लौटो का नारा स्वामी दयानंद सरस्वती ने दिया था। उन्होंने 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी, वे संस्कृत और वेदों के प्रकांड विद्वान थे। भारत में वेदों की छपाई उनके संरक्षण में पहली बार शुरू हुई, सत्यार्थ प्रकाश उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक थी। दयानंद सरस्वती का असली नाम मूलशंकर था। चौदह साल की उम्र में ही उन्होंने संस्कृत व्याकरण, सामवेद, यजुर्वेद का अध्ययन कर लिया था।
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18. आराम हराम है (Aaram Haram hai) – जवाहरलाल नेहरू
आराम हराम है का नारा पंडित जवाहर लाल नेहरु ने स्वतंत्रता के संग्राम के दौरान दिया था। उन सबके लिए जिन्हें वह यह संदेश देना चाहते थे की देश की आज़ादी के लिए उन्हें बिना कष्ट के कुछ हासिल नहीं होगा और ऐसे समय में जब देश को उसके वीरों की ज़रूरत है तो आराम करना सही नहीं है । वह जितना साहस दिखाएँगे और जितनी मेहनत करेंगे उतनी ही जल्दी देश को उसकी आज़ादी मिलेगी। उनका मानना था की काम करने और मेहनत करने से जो फल मिलता है वही सबसे अच्छा होता है और मीठा होता है।
19. हे राम (Hey Ram) – महात्मा गांधी
गांधी जी का पसंदीदा भजन रघुपति राघव राजा राम था। वे भारत में रामराज्य की कल्पना करते थे जिसमें प्रेम और सद्भाव हो, अंत समय भी उनके मुंह से हे राम निकला था।अपनी आत्मकथा सत्य के साथ मेरे प्रयोग में गांधी जी लिखते हैं कि मुझे बचपन में भूतों से बहुत डर लगता था। उस घटना के बारे में बताते हैं कि एक बार उन्हें दूसरे कमरे में जाना था लेकिन अंधेरा बहुत ज्यादा था। एक तो रात का अंधेरा और फिर भूत का डर, उनका पांव आगे नहीं बढ़ रहा था। उन्हें लग रहा था कि वह भूत कहीं छिपा बैठा उनका इंतजार कर रहा होगा और बाहर निकलते ही उन पर आकर कूद पड़ेगा।
उन्होंने तेजी से धड़कते दिल के साथ अपना एक पैर बाहर निकाला, इतने में बाहर खड़ी बूढ़ी दाई रंभा ने उन्हें देखा और हंसते हुए पूछा क्या बात है बेटे, गांधी जी ने कहा मुझे बहुत डर लग रहा है। गांधी जी ने बताया कि अंधेरे में मुझे भूतों से डर लगता है। इस पर दाई रंभा ने उनकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा राम का नाम लो। कभी कोई भूत तुम्हारे पास आने की हिम्मत नहीं करेगा। कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। राम तुम्हारी रक्षा करेंगे। इसके बाद गांधी जी ने राम का नाम कभी नहीं छोड़ा।
20. भारत छोड़ो (Bharat Chodo) – महात्मा गांधी
भारत छोड़ो का नारा युसुफ मेहर अली ने दिया था। जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के अग्रणी नेताओं में से थे। विश्व युद्ध में इंग्लैण्ड को बुरी तरह उलझता देख मौके की नजाकत को भाँपते हुए 8 अगस्त 1942 की रात में ही बम्बई से अँग्रेजों को “भारत छोड़ो” व भारतीयों को करो या मरो का आदेश जारी किया और सरकारी सुरक्षा में यरवदा पुणे स्थित आगा खान पैलेस में चले गये।
क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। और इसी आंदोलन का भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से जाना जाता हैं।
21. सरफरोशी की तम्मना अब हमारे दिल में है (Sarfaroshi ki tamanna ab hamare dil me hai ) – बिस्मिल अज़ीमाबादी
सरफरोशी की तमन्ना भारतीय क्रान्तिकारी बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध देशभक्तिपूर्ण ग़ज़ल है जिसमें उन्होंने आत्मोत्सर्ग की भावना को व्यक्त किया था। उनकी यह तमन्ना क्रान्तिकारियों का मन्त्र बन गयी थी। ये ग़ज़ल राम प्रसाद बिस्मिल का प्रतीक सी बन गई है। राम प्रसाद बिस्मिल ने ही देश को सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है जैसा जोश से भरा नारा दिया। इस नारे के आधार पर आगे चलकर कई देशभक्ती फिल्मों में गाने बने।
22.सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा (Saare jahaan se accha hindustan hamara) – इकबाल
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा यह मशहूर गीत कवि, बैरिस्टर और दार्शनिक मोहम्मद इकबाल के द्वारा 1905 में लिखा हुआ हैं। इसे सबसे पहले सरकारी कालेज लाहौर में पढ़कर सुनाया था। सारे जहाँ से अच्छा या तराना-ए- हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक ग़ज़ल है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी और जिसे आज भी देश – भक्ति के गीत के रूप में भारत में गाया जाता है। इसे अनौपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त है। जब इंदिरा गांधी ने भारत के प्रथम अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा से पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो शर्मा ने इस गीत की पहली पंक्ति कही।
23. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा (Tum mujhe khoon do main tumhe azadi dunga) – सुभाषचंद्र बोस
नेताजी अपनी आजाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुंचे। यंही रंगून के जुबली हॉल में अपने ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा दिया। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा के नारे से भारतीयों के दिलों में देशभक्ति की भावना और बलवान होती थी। आज भी उनके इस नारे से सभी को प्रेरणा मिलती है।
24. साइमन कमीशन वापस जाओ (Simon go back) – लाला लाजपत राय
3 फरवरी 1928 को कमीशन भारत पहुंचा । साइमन कोलकाता लाहौर लखनऊ, विजयवाड़ा और पुणे सहित जहाँ जहाँ भी पहुंचा उसे जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा और लोगों ने उसे काले झंडे दिखाए। पूरे देश में साइमन गो बैक ( साइमन वापस जाओ ) के नारे गूंजने लगे लखनऊ में हुए लाठीचार्ज में पंडित जवाहर लाल नेहरू घायल हो गए और गोविंद वल्लभ पंत अपंग।
30 अक्टूबर 1928 को लाला लाजपत राय के नेतृत्व में साइमन का विरोध कर रहे युवाओं को बेरहमी से पीटा गया। पुलिस ने लाला लाजपत राय की छाती पर निर्ममता से लाठियां बरसाईं। वह बुरी तरह घायल हो गए और मरने से पहले उन्होंने बोला था कि आज मेरे उपर बरसी हर एक लाठी कि चोट अंग्रेजों की ताबूत की कील बनेगी अंततः इस कारण 17 नवंबर 1928 को उनकी मृत्यु हो गई।
25. हू लिव्स इफ इंडिया डाइज (Hu livs if india dies) – जवाहरलाल नेहरू
हु लीव्स इफ इंडिया डाइज पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा दिया गया नारा हैं जिसका हिंदी में अर्थ हैं कौन रहता है अगर भारत मर जाता है।
26. चलो दिल्ली मारो फिरंगी (chalo delhi maro firangi)– जोधपुर लिजियम के क्रांतिकारी सैनिकों द्वारा
जोधपुर के एरनपुरा में 21 अगस्त 1857 में जोधपुर के सैनिकों ने विद्रोह का बिगुल बजाकर क्रांति का सूत्रपात किया। 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ सैनिक विद्रोह हुआ था। फौरी तौर पर कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी को लेकर भारतीय सैनिकों में आक्रोश था। लेकिन इस विद्रोह के पीछे देश को आजाद कराने की प्रबल इच्छा था। ऐसे में देश के तमाम हिस्सों से सैनिकों का एक ही लक्ष्य था अंग्रेजों को मारकर दिल्ली पर कब्जा करो। उसी दौरान 1857 के स्वाधीनता संग्राम के जोधपुर लिजियम के सैनिकों ने चलो दिल्ली मारो फिरंगी का नारा दिया था।
27. अंग्रेजो भारत छोड़ो (Angrejo bharat chhodo) - यूसुफ मेहर अली
आजादी की लड़ाई में "अंग्रेजो भारत छोड़ो" (Angrejo bharat chhodo) का नारा लिखने का श्रेय समाजवादी कांग्रेस नेता और बॉम्बे के तत्कालीन मेयर, यूसुफ मेहर अली (yusuf meherally) को जाता है. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने 1942 में एक बैठक के दौरान महात्मा गांधी के समक्ष इस नारे को इस्तेमाल किए जाने का प्रस्ताव रखा था. भारत छोड़ो आंदोलन में इस नारे की काफी अहम भूमिक रही थी.
28. दुश्मन की गोलियों का, सामना हम करेंगे (Dushman ki goliyon ka samna hum karenge) - चंद्रशेखर आजाद
वो कहते हैं ना जैसा नाम वैसा काम अपने नाम के आगे आजाद लगाने वाले
महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) ने यह नारा दिया था. एक वक्त था जब चंद्रशेखर आजाद
'दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे' इस नारे को बोला करते थे तो हर युवा उनके पीछे -पीछे इस नारे को दोहराते थे. जिस शानदार तरीके से आजाद से मंच भाषण देते थे उनकी जोश भरी बातों से प्रेरित होकर हजारों युवा उनके साथ जान लुटाने को तैयार हो जाते थे.
29. सत्यमेव जयते (Satyamev jayate) पंडित मदन मोहन मालवीय
सत्यमेव जयते का नारा पंडित मदन मोहन मालवीय ने दिया था। भारत के राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' (सच की जीत होती है) को लोकप्रिय बनाने का श्रेय उनको ही जाता है। उन्होंने इसका इस्तेमाल साल 1918 में किया था। 'सत्यमेव जयते' हजारों साल पहली लिखे गए उपनिषदों का एक मंत्र है। 'सत्यमेव जयते' मूलतः मुण्डक-उपनिषद का सर्वज्ञात मंत्र 3.1.6 है। सत्यमेव जयते अर्थात् सत्य की हमेशा विजय होती है। यह भारत का राष्ट्रीय वाक्य है। जिसे सारनाथ के स्तूप से लिया गया है। वहां यह वाक्य मुण्डकोपनिषद से लिया गया है। यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे देवनागरी लिपि में अंकित है। यह प्रतीक उत्तर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट सारनाथ में 250 ई.पू. में सम्राट अशोक द्वारा बनवाये गए सिंह स्तम्भ के शिखर से लिया गया है, लेकिन उसमें यह आदर्श वाक्य नहीं है। पूर्ण मंत्र इस प्रकार है:
सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन पंथा विततो देवयानः।
येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत् सत्यस्य परमम् निधानम्॥..
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