छत्तीसगढ़_के_जिले_एवं_महत्वपूर्ण_तथ्य_Hindi_Sulekhak

छत्तीसगढ़ में कितने जिले हैं

(Chhattisgarh) छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के समय 16 जिले थे, जो की 6 गोंडी भाषी और 10 छत्तीसगढ़ भाषी जिलों को मिलकर 1 नवम्बर 2000 को मध्य प्रदेश से निकालकर भारत का 29 वा राज्य बनाया गया था। आज के समय में छत्तीसगढ़ में 27 जिले है और छत्तीसगढ़ में गांव कुल संख्या वर्तमान में 20335 है, जो की 5 मंडलो के अंतर्गत आते है, 5 मंडल है बस्तर, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर और सुरगुजा मंडल।

 

Chhattisgarh Mein Kitne Jile Hain

(Chhattisgarh) छत्तीसगढ़ में कुल 27 जिले है, सामान्यतया हर जिले का मुख्यालय उसी जिले में होता है, सिर्फ कुछ जिले के मुख्यालय अलग है, जैसे सुरगुजा का मुख्यालय अंबिकापुर, कोरिया का बैकुंठपुर, बस्तर का जगदलपुर तथा जंजघर-चंपा का नैला जांजगीर है, क्षेत्रफल में सबसे बड़ा जिला सुरगुजा है, और जनसँख्या में सबसे बड़ा जिला रायपुर है, सर्वाधिक जनसँख्या घनत्व दुर्ग जिले का है।

 

छत्तीसगढ़ के जिले एवं मुख्यालय

क्र.सं.

जिला का नाम

जिला मुख्यालय

1

बालोद

बालोद

2

बलोदा बाजार

बलोदा बाजार

3

बलरामपुर-रामानुजगंज

बलरामपुर

4

बस्तर

जगदलपुर

5

बेमेतरा

बेमेतरा

6

बीजापुर

बीजापुर

7

बिलासपुर

बिलासपुर

8

दन्तेवाड़ा

दन्तेवाड़ा

9

धमतरी

धमतरी

10

दुर्ग

दुर्ग

11

गरियाबंद

गरियाबंद

12

जांजगीर-चाम्पा

जांजगीर

13

जशपुर

जशपुर

14

कवर्धा

कवर्धा

15

कांकेर

कांकेर

16

कोण्डागांव

कोण्डागांव

17

कोरबा

कोरबा

18

कोरिया

बैकुंठपुर

19

महासमुन्द

महासमुन्द

20

मुंगेली

मुंगेली

21

नारायणपुर

नारायणपुर

22

रायपुर

रायपुर

23

रायगढ़

रायगढ़

24

राजनांदगांव

राजनांदगांव

25

सुकमा

सुकमा

26

सूरजपुर

सूरजपुर

27

सुरगुजा

अंबिकापुर


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आंध्र प्रदेश के जिले एवं महत्वपूर्ण तथ्य |


छत्तीसगढ़ के जिलें एवं जनसंख्या

क्र.सं.

जिला का नाम

जनसंख्या (2001)

1

बालोद

826165

2

बलोदा बाजार

1149399

3

बलरामपुर-रामानुजगंज

598855

4

बस्तर

1411647

5

बेमेतरा

795334

6

बीजापुर

229832

7

बिलासपुर

2663629

8

दन्तेवाड़ा

247029

9

धमतरी

703569

10

दुर्ग

1721726

11

गरियाबंद

597653

12

जांजगीर-चाम्पा

1619707

13

जशपुर

775607

14

कवर्धा

584667

15

कांकेर

651333

16

कोण्डागांव

578326

17

कोरबा

1206640

18

कोरिया

658917

19

महासमुन्द

1032754

20

मुंगेली

701707

21

नारायणपुर

140206

22

रायपुर

3009042

23

रायगढ़

2160876

24

राजनांदगांव

1537133

25

सुकमा

249841

26

सूरजपुर

660280

27

सुरगुजा

2361329

 

सर्वाधिक जनसँख्या वाले छत्तीसगढ़ के जिलों के नाम

क्र.सं.

जिला का नाम

जनसंख्या (2011)

1

रायपुर

4063872

2

दुर्ग

3343872

3

बिलासपुर

2663629

4

सरगुजा

2359886

5

जांजगीर चंपा

1619707

6

राजनांदगांव

1537133

7

रायगढ़

1493984

8

बस्तर

1413199

9

कोरबा

1206640

10

महासमुंद

1032754

 

सर्वाधिक साक्षरता वाले छत्तीसगढ़ के जिले

क्र.सं.

जिला का नाम

साक्षरता

1

दुर्ग

79.06

2

धमतरी

78.36

3

राजनांदगांव

75.96

4

रायपुर

75.56

5

रायगढ़

73.26

6

जांजगीर चंपा

73.07

7

कोरबा

72.37

8

महासमुंद

71.02

9

बिलासपुर

70.78

10

कोरिया

70.64

11

कांकेर

70.29

 

सर्वाधिक लिंगानुपात वाले छत्तीसगढ़ में कितने जिले है

क्र.सं.

जिला का नाम

लिंग अनुपात

1

बस्तर

1023

2

दंतेवाड़ा

1020

3

महासमुंद

1017

4

राजनांदगांव

1015

5

धमतरी

1010

6

कांकेर

1006

7

जशपुर

1005

सबसे अधिक विकास दर वाले छत्तीसगढ़ के जिले

क्र.सं.

जिला का नाम

विकास दर

1

कबीरधाम

40.71%

2

रायपुर

34.70%

3

बिलासपुर

33.29%

4

जांजगीर चंपा

22.94%

5

महासमुंद

20.05%

 

छत्तीसगढ़ के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

राज्य

छत्तीसगढ (Chhattisgarh)

राज्यपाल

श्री मति आनंदीबेन पटेल

मुख्यमंत्री

भूपेश बघेल (INC)

उप मुख्यमंत्री

NA

आधिकारिक वेबसाइट

https://www.cgstate.gov.in/

स्थापना का दिन

1 नवंबर, 2000

क्षेत्रफल

135,191 वर्ग किमी

घनत्व

189 प्रति वर्ग किमी

जनसंख्या (2011)

2,55,45,198

पुरुषों की जनसंख्या (2011)

1,28,32,895

महिलाओं की जनसंख्या (2011)

1,27,12,303

शहरी जनसंख्या % में (2011)

23.24%

जिले

27

राजधानी

रायपुर

उच्च न्यायलय

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर

जनसँख्या में स्थान [भारत में ]

17th

क्षेत्रफल में स्थान [भारत में ]

10th

धर्म

हिन्दू, मुस्लिम, क्रिश्चियन, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी, अन्य धर्म

नदियाँ

अरपा, महानदी, इन्द्रावती, सोन, पैरी, हसदेव, सबरी नदी

वन एवं राष्ट्रीय उद्यान

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यानउद्यान, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, और पेंच राष्ट्रीय उद्यान उद्यान और महदेई वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी

भाषाएँ

अंग्रेजी,हिंदी, छत्तीसगढ़ी, मराठी, उडि़या, गोंडी, कोरकू

पड़ोसी राज्य

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखण्ड, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना

राजकीय पशु

वन भैंसा

राजकीय पक्षी

पहाड़ी मैना

राजकीय वृक्ष

बरगद

राजकीय फूल

NA

नृत्य

पंथी, पंडवानी, राउत नाच, सुवा नाच, कर्मादंड, ऐडा-खड़ा, दादेल, मटकी, बिरह, अहिराई, परधौनी, विल्मा, दादर एंड कलस

खेल

NA

नेट राज्य घरेलू उत्पाद (2013-2014)

185,000 करोड़ रुपया

साक्षरता दर (2011)

70.26%

1000 पुरुषों पर महिलायें

991

सदन व्यवस्था

एक सदनीय

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र

90

विधान परिषद् सीटे

NA

संसदीय निर्वाचन क्षेत्र

11

राज्य सभा सीटे

5

 

छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य और जिले

छत्तीसगढ़ भारत के राज्यों से ही घिरा हुआ राज्य है, ये उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से घिरा हुआ है।

 

छत्तीड़गढ के सीमान्त जिलों को क्रमशा उत्तर में उत्तर प्रदेश के जिले स्पर्श करते है, उत्तर पूर्व में झारखण्ड के जिले, पूर्व में ओडिशा के जिले, दक्षिण में आंध्र प्रदेश के जिले, दक्षिण पश्चिम में तेलंगाना के जिले, पश्चिम में महाराष्ट्र के जिले और उत्तर पश्चिम में मध्य प्रदेश के जिले स्पर्श करते है।

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छत्तीसगढ़ के जिलों की कानून व्यवस्था

छत्तीसगढ़ के कुल मिलाकर सत्ताईस जिले है, और प्रत्येक जिला उप संभाग और तहसील में विभाजित है, छत्तीसगढ़ में राज्य लोकसेवा आयोग के सदस्य उप संभाग और तहसील का शासन देखते है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य लोकसेवा आयोग के कुछ सदस्य भारतीय प्रशासनिक सेवा और पुलिस सेवा के सदस्यो के सानिध्य में छत्तीसगढ़ के २७ जिले की कानून व्यवस्था की देखरेख करते है, वैसे तो सभी जिलो का मुख्यालय उसी जिले में है पर छत्तीसगढ़ के कुछ जिलो का मुख्यालय उस जिले में होकर अन्य शहर में है, जैसे जांजगीर-चंपा जिले का मुख्यालय नैला-जांजगीर शहर में है, कबीरधाम जिले का मुख्यालय कवर्धा शहर में है, कोरिया जिले का मुख्यालय बैकुंठपुर शहर में है, सुरगुजा जिले का मुख्यालय अंबिकापुर शहर में है, जिले के मुख्यालय जिले के अलाबा किसी अन्य शहर में बनाने का मुख्य कारन वहां का विकसित होना और देश के अन्य शहरो से आवागमन की आसानी रहा होगा, वह से रेल मार्ग और वायु मार्ग की सुगमता रही होगी।

 

छत्तीसगढ़ का खाना

मालपुवा - चावल को कूट कर उसमे गुड को मिला कर बनाया जाता है। यहां के सतनामी जाति के लोगों में इसका विशेष महत्व है

 

मानव सभ्यता जितनी पुरानी है लगभग उतना ही पुराना है- स्वाद का संसार। सभ्यता के विकास के साथ स्वाद की दुनिया बदलती चली गई। सहज सुलभ कलेवा होता हुआ खानपान का यह रूप आज नये दौर में है, षट्-रस तो वही हैं लेकिन जिनमें प्रपंच स्वाद से कम नहीं। मध्य भारत के पांच अहम् लोकांचल हैं, बुंदेलखण्ड, बघेलखण्ड, निमाड़, मालवा और हमारा अपना छत्तीसगढ़। अपनी-अपनी रस विशिष्टता के साथ। ऐसे में हमें याद आती हैं हमारी परंपराएं इस मामले में छत्तीसगढ़ संभवतः सबसे अनूठा है।

 

छत्तीसगढ़ की संस्कृति में खानपान की विशिष्ट और दुर्लभ परंपराएं हैं, जो हर प्रहर, बेला, मौसम और तीज-त्यौहार के मुताबिक सामने आती है। आदिवासी समाज का कलेवा यदि प्राकृतिक वनोपज है तो जनपदीय संस्कृति के वाहको का कलेवा अपनी विविधताओं से हतप्रभ करता है। मांगलिक और गैर-मांगलिक दोनों प्रसंग के व्यंजनों की अपार श्रृंखला है। ये व्यंजन भुने हुए, भाप में पकाए, तेल में तले और इन तीनों की बगैर सहायता से भी तैयार होते हैं।

 

कुछ मुख्य व्यंजन इस प्रकार हैं:-

मीठे व्यंजन:-

 

तसमई

छत्तीसगढ़ी तसमई खीर जैसा व्यंजन है। दूध, चांवल का यह पकवान विशेष अवसरो खुशियों में विशेष तौर पर बनता है।जैसे आमला नवमी विवाह आदि अवसरो में।

 

खुरमी

गेहूं तथा चावल के आटे के मिश्रण से निर्मित मीठी प्रकृति का लोकप्रिय व्यंजन है। .तीजा पोला के समय बनाया जाता है।

 

पपची

गेहूं-चावल के आटे से बनी अनुष्ठानिक व्यंजन है। बालूशाही को भी मात कर सकती है। मीठी पपची, मंद आंच (धीमी आंच) में सेके जाने से कुरमुरी और स्वादिष्ट बन जाती है।

 

अनरसा

चावल आटा और गुड़ की चाशनी से बना छत्तीसगढ़ी पकवानों का स्वादिष्ट रूप है। विशेष अवसरो में।

 

देहरौरी

दरदरे चांवल और चाशनी में भींगी देहरौरी को रसगुल्ले का देसी रूप कह सकते हैं।

 

फरा

फरा पके हुए चावल का बनाया जाता है मीठा फरा में गुड़ का घोल प्रयुक्त होता है और दूसरा भाप में पकाया हुआ जिसको बघार लगाकर अधिक स्वादिष्ट किया जाता है।

 

चौसेला

हरेली, पोरा, छेरछेरा त्यौहारों में चांवल के आटे से तलकर तैयार किया जाने वाले इस व्यंजन का जायका गुड़ आचार बढ़ा देते हैं।

 

नमकीन व्यंजन:-

 

ठेठरी

लम्बी या गोल आकृति वाला यह नमकीन व्यंजन बेसन से बनता है।

 

करी

करी, बेसन का मोटा सेव है, इसे नमक डालकर नमकीन करी बनाते हैं तथा बिना नमक के करी से गुड़ वाला मीठा लड्डू बनता है। दुःख-सुख के अवसरों में करी का गुरहा लड्डू बनाया जाता है।

 

सोहारी

शादि-ब्याह और भोज में पतली और बड़ी पूरी-सोहारी बनायी जाती है।

 

बरा

उड़द दाल से बने इस व्यंजन का शादि-ब्याह तथा पितर में विशेष चलन है।

 

चीला

चावल के आटे में नमक डालने से नुनहा चीला बनता है एवं घोल में गुड़ डाल देने से गुरहा चीला। इन दोनों चीले का स्वाद हरी मिर्च और टमाटर की चटनी से बढ़ जाता है।

 

छत्तीसगढ़ी व्यंजन संतुलित, स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट होते हैं। साथ ही पारंपरिकता की सौंधी महक इनको बेजोड़ बनाती है। आधुनिकता के इस दौर में चूल्हा-चौके से निकले स्वाद के अपने और विनम्र संसार में उतरने का अवसर दे रहा है।


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