OYO फाउंडर की प्रेरक कहानी

रितेश अग्रवाल - Biography

रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) का नाम आज देश के अमीर व्यक्तियों की सूची में शामिल है। हालांकि ये नाम वर्तमान समय में किसी परिचय का मोहताज नहीं है,

 

लेकिन जब कोई व्यक्ति छोटी उम्र में काफी बड़े मुकाम हासिल कर लेता है, तो ऐसे व्यक्ति के बारे में जानना समाज के हर व्यक्ति के लिए आवश्यक हो जाता है।

 

ऐसे में आज हम आपको OYO के फाउंडर रितेश अग्रवाल के सफल जीवन की कहानी के बारे में विस्तार में बताने वाले हैं। जिसे पढ़कर आप अवश्य ही अपने जीवन में कुछ बेहतर कर पाने के लिए प्रेरित होंगे।

 

एक बड़ी ही प्रचलित कहावत है किप्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती’, ये कहावत रितेश अग्रवाल पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

 

रितेश अग्रवाल जिन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में एक ऐसी कंपनी शुरू की, जिसने देखते ही देखते उन्हें billionaire बना दिया।

 

आधुनिक समय में प्रचलित OYO कंपनी के बारे में आपने अवश्य सुना होगा, जोकि देश के किसी भी होटल, रेस्टूरेंट और बार इत्यादि में आपको कमरे की सुविधा उपलब्ध कराती है।

 

सरल शब्दों में, OYO एक ऑनलाइन रूम बुकिंग प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से आप भारत के किसी भी होटल में सस्ते दामों पर रूम बुक करा सकते हैं।

 

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OYO एक होटल चैन के तौर पर आजकल युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है,

 

जिसकी प्रसिद्धि का अंदाजा आप केवल इसी बात से लगा सकते हैं कि OYO वर्तमान में फ्लिपकार्ट और पेटीएम जैसी जानी मानी कंपनियों में शुमार हो गई है।

 

हालांकि ये कंपनी रातों रात खड़ी नहीं हो गई, बल्कि OYO के फाउंडर रितेश अग्रवाल ने इसे बड़ी मेहनत और लगन के साथ स्थापित किया है।

 

जिसके पीछे की कहानी जानने से पहले हम आपको रितेश अग्रवाल की जिंदगी से रूबरू कराएंगे।

 

विषय सूची

रितेश अग्रवाल का आरंभिक जीवन

OYO की शुरुआत कैसे हुई?

OYO की शुरुआत एक नजर में….

रितेश अग्रवाल के जीवन से जुड़ी रोचक बातें

रितेश अग्रवाल की अन्य उपलब्धियां

रितेश अग्रवाल के बिजनेस टिप्स या प्रेरक विचार

रितेश अग्रवाल का संक्षिप्त परिचय

 

रितेश अग्रवाल का आरंभिक जीवन

रितेश अग्रवाल एक मध्यमवर्गीय मारवाड़ी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनका जन्म 16 नवंबर 1993 को ओडिशा राज्य के रायगडा जिले में कट्टक स्थित बिसम नामक कस्बे में हुआ था।

 

इनके पिता जोकि एक व्यापारी हैं जबकि इनकी माता एक गृहणी हैं। इन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल, रायगडा से पूरी की थी।

 

लेकिन मात्र 8 वर्ष की उम्र में ही रितेश की रुचि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और कोडिंग जैसे विषयों में हो गई थी।

 

जिसके चलते उन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा देने के बाद कोटा जाकर आईआईटी की भी तैयारी की, लेकिन उनका शुरू से ही मन बिजनेस में लगता था।

 

जिस कारण उन्होंने 12वीं के बाद इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड फाइनेंस, दिल्ली में दाखिला ले लिया।

 

फिर उसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़कर अपना सारा ध्यान न्यू बिजनेस आइडियाज पर लगाना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने देश में कई जगहों की यात्रा भी की।

 

ऐसे में जब वह किसी दूसरे शहर या स्थान पर घूमने या ठहरने जाया करते थे, तब उनको होटल में रूम ढूंढने में काफी समय और धन व्यय करना पड़ता था।

 

जहां से ही उन्हें यह विचार आया कि क्यों ना ऐसा प्लेटफॉर्म शुरू किया जाए, जिससे लोगों को होटल या रेस्तरां में रूम ढूंढने में दिक्कत ना हो और वहां पहले से ही बुकिंग कराई जा सके।

 

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जहां से ही उन्हें ऑनलाइन रूम बुकिंग प्लेटफार्म को शुरू करने का विचार आया।


OYO की शुरुआत कैसे हुई?

OYO फाउंडर की प्रेरक कहानी


साल 2012 में रितेश अग्रवाल ने मात्र 60,000 रुपए लगाकर गुरुग्राम में OREVAL STAYS नामक एक ऑनलाइन कंपनी की शुरुआत की।

 

जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को सस्ते और किफायती दामों पर होटल रूम उपलब्ध कराना था।

 

जिसके बाद इस कंपनी के शुरुआती दौर में ही venture nursery नाम की एक कंपनी ने इसमें लाखों रुपए का निवेश किया। जिससे रितेश को इस कंपनी के संचालन में काफी मदद मिली।

 

हालांकि रितेश अग्रवाल केवल यहीं तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने अपने स्टार्टअप के लिए और पूंजी जुटाने के लिए एक प्रतियोगिता में भी भाग लिया।

 

उन्होंने paypal की को-ऑपरेटिव Thales कंपनी की फेलोशिप के लिए अपने ऑनलाइन रूम बुकिंग के बिजनेस आइडिया को सबके सामने रखा।

 

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जिनके आइडिया को काफी सराहना मिली, इस प्रतियोगिता में उन्हें 10वां स्थान मिला। साथ ही 65 लाख रुपए फेलोशिप के तौर पर भी मिले।

 

जिसके बाद रितेश के इस स्टार्टअप या कंपनी को काफी मजबूती मिली।

 

लेकिन कहते हैं ना कि अच्छा वक्त आया है तो बुरा भी आएगा। एक समय ऐसा आया जब रितेश की कंपनी को बहुत नुकसान हुआ।

 

यहां तक कि कंपनी को कुछ समय के लिए कंपनी को बंद तक करना पड़ गया।

 

जिसके पीछे का मुख्य कारण फंडिंग की कमी, मार्केटिंग का अभाव, बेहतरीन सुविधाओं की कमी और इन्वेस्टर्स की कमी का होना था।

 

इसके बाद अगले ही वर्ष यानि 2013 में रितेश अग्रवाल ने अपनी कंपनी का नाम बदलकर और उसकी खामियों को दूर करके उसे दुबारा शुरू किया।

 

अबकी बार उन्होंने होटल रूम्स के मामले में जगह, गुणवत्ता और रुपए पर अधिक ध्यान दिया। साथ ही कई सारे होटल के साथ साझेदारी की।

 

इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी कंपनी का नाम छोटा करके OYO rooms कर दिया। जिससे तात्पर्य On your Own यानि आपका अपना कमरा होता है।

 

OYO की कार्यशैली से प्रभावित होकर ही एक वर्ष के अंदर कई बड़ी कंपनियों और लोगों ने इसमें निवेश करना शुरू कर दिया।

 

जहां साल 2014 में LSVP और DSG दो बड़ी कंपनियों ने इसमें 4 करोड़ का निवेश किया, तो वहीं साल 2016 आते-आते जापान की एक प्रसिद्ध कंपनी SOFT BANK ने भी OYO में करीब 7 अरब का निवेश किया।

 

अब आपको बता दें कि रितेश की OYO जोकि एक ऑनलाइन कंपनी है, वह कुछ इस तरह से काम करती है।

 

जैसे, यदि आप किसी दूसरे शहर या स्थान पर घूमने या किसी काम से जा रहे हैं। साथ ही उस जगह जहां आपको जाना है, वहां आपका कोई परिचित या रिश्तेदार नहीं है और आप होटल में कमरा लेकर रहना चाहते हैं।

 

तब OYO एप या वेबसाइट पर जाकर आप जगह या शहर का नाम डालकर अपनी लोकेशन के हिसाब से ऑनलाइन होटल ढूंढ सकते हैं।

 

जहां OYO आपको सस्ते और सुविधाजनक कमरे ढूंढने में मदद करता है, साथ ही यह आपको पहले से ही रूम बुकिंग की सुविधा भी प्रदान करता है।

 

इतना ही नहीं आप रेटिंग के आधार पर होटल के कमरे, लंच या ब्रेकफास्ट आदि का भी चयन कर सकते हैं। जहां OYO आपके बजट को ध्यान में रखते हुए आपको बेहतर कस्टमर सर्विस मुहैया कराती है।

 

आपको बता दें कि यदि आप भी किसी होटल के मालिक हैं तो OYO के साथ अपने होटल को लिस्टिंग करा सकते हैं।

 

वर्तमान में, OYO से 230 शहरों में करीब 8000 होटल जुड़े हैं, जिसकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। साथ ही गूगल प्ले स्टोर पर OYO एप को 10 मिलियन से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं।

 

इतना ही नहीं, अब OYO का विस्तार विदेशों में भी करीब 80 देशों में हो चुका है।इस प्रकार, OYO कंपनी ट्रैवल, टूरिस्ट और होटल इंडस्ट्री में एक अलग ही पहचान रखती है।

 

साथ ही जो कपल्स एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करना चाहते हैं, उनके बीच भी OYO काफी पॉपुलर बन चुका है। आप OYO की मदद से देश दुनिया में कहीं भी 3-5 मिनट के अंदर कमरा ढूंढ सकते हैं।

 

OYO की शुरुआत एक नजर में….

OYO फाउंडर की प्रेरक कहानी

2012: ओरावेल की शुरुआत की गई

2013: कंपनी का नाम बदलकर OYO रखा गया

2015: OYO एप लॉन्च किया गया

2016: OYO का विस्तार मलेशिया तक

2018: नेपाल, चीन, एशिया और यूके में OYO की शुरुआत

 

 

रितेश अग्रवाल के जीवन से जुड़ी रोचक बातें

रितेश ने 17 साल की उम्र में ही यंग CEO का खिताब अपने नाम कर लिया था।

 

इनके द्वारा लिखी किताब kaleidoscope के चलते इन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।

 

साथ ही इन्होंने Colleges (Top 100 indian engineering college) नाम से भी एक किताब लिखी थी, जोकि इन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के दौरान लिखी थी।

 

एक इंटरव्यू के दौरान रितेश ने बताया कि वह अपने कॉलेज में सिम कार्ड बेचा करते थे, उन्हें मार्केटिंग के लिए अनुभव वही से प्राप्त हुआ था।

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रितेश अग्रवाल ने कंपनी के शुरुआती दिनों में 16 घंटे तक काम किया है।

 

रितेश के मुताबिक, जब साल 2012 में उनका स्टार्टअप असफल हो गया था, और उन्हें अपनी कंपनी को बंद करना पड़ा। तब उनकी जेब में केवल 30 रुपए थे और वो अपने भविष्य को लेकर पूरी तरह से आशंकित थे।

 

भावी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, रितेश अग्रवाल जल्द ही OYO का IPO जारी करने के बाद OYO wedding, OYO Townhall और OYO workspace आदि फ्यूचर प्रोजेक्ट्स पर भी काम करने वाले हैं।

 

रितेश की मां हमेशा से चाहती थी कि वो ये स्टार्टअप छोड़कर कोई नौकरी करें, लेकिन जब उन्होंने पीएम मोदी के मन की बात में अपने बेटे के OYO स्टार्टअप की बात सुनी, तब उन्हें अपने बेटे पर भरोसा हुआ।

 

रितेश अग्रवाल की अन्य उपलब्धियां

2013: टाटा फर्स्ट डॉट में शीर्ष 50 व्यापारियों में शामिल/ बिजनेस इनसाइडर द्वारा 8 Hottest Teenage startup founder in the world.

2014:  Tie lumis enterpreneurial excellence award.

2015: बिजनेस वर्ल्ड यंग एंटरप्रेन्योर अवॉर्ड

2016: इंटरनेशनल मैगजीन GQ ने टॉप 50 यंग बिजनेस मैन की लिस्ट में शामिल/ फोर्ब्स के अंडर 30 बिजनेसमैन में शामिल।

2020: ग्लोबल रिच लिस्ट के मुताबिक विश्व के दूसरे यंग सेल्फ मेड बिलियनर घोषित।

 

 

रितेश अग्रवाल के बिजनेस टिप्स या प्रेरक विचार

जब तक आप असफल नहीं होते, तब तक आपको कड़ी मेहनत का एहसास नहीं होता है।

 

एक सफल एंटरप्रेन्योर वही है, जो रिजेक्शन के लिए हमेशा तैयार रहता है।

 

एंटरप्रेन्योर के पास सबसे जरूरी गुण जो है, वह है शालीनता। जोकि उसे आगे बढ़ने में मदद करती है।

 

आपको जीवन में सफलता पाने के लिए अंतिम समय तक लड़ना चाहिए।

 

अपने निवेशकों और भरोसेमंद व्यक्तियों को संग रखकर ही आप एक सफल उद्यमी बन सकते हैं।

 

रितेश अग्रवाल का संक्षिप्त परिचय

पूरा नाम: रितेश अग्रवाल

भाई और बहन: 3

वर्तमान आयु: 28 वर्ष

लोकप्रियता: 19 साल में OYO कंपनी की शुरुआत, CEO

जीवन का उद्देश्य: उद्यमिता

स्वभाव: विनम्र और दयालु

प्रेरणास्त्रोत: बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग, अनिल अग्रवाल

 

इस प्रकार, रितेश अग्रवाल का जीवन उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जोकि किसी तरह के स्टार्टअप या कंपनी को शुरू करना चाहते हैं।

 

साथ ही इनके जीवन से हमें ये प्रेरणा मिलती है कि व्यापार करने के लिए आपको अनुभव, पूंजी और संसाधनों से अधिक एक नए विचार की आवश्यकता होती है,

 

जिसके आधार पर ही ये निश्चित होता है कि आप उद्यमिता के क्षेत्र में कितना तरक्की करेंगे।



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